भारत सरकार ने शुक्रवार को श्रम कानूनों में बड़े सुधार करते हुए देश के करोड़ों कर्मचारियों को राहत दी है। इन बदलावों में नौकरी के दौरान मिलने वाली ग्रेच्युटी से जुड़े नियम में भी अहम संशोधन किया गया है। पहले कर्मचारियों को ग्रेच्युटी पाने के लिए कम से कम पांच साल तक सेवा करनी होती थी, लेकिन अब यह अवधि घटाकर केवल एक साल कर दी गई है।
सरकार की नई नीति में पुराने 29 श्रम कानूनों को सिर्फ चार लेबर कोड में समेट दिया गया है। इसके तहत सैलरी, सामाजिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य स्थितियों से जुड़े नियम अब सरल और कर्मचारियों के अनुकूल हो गए हैं। अब फिक्स्ड टर्म वाले कर्मचारी भी एक साल के बाद ग्रेच्युटी पाने के हकदार होंगे। इसके अलावा, महिलाओं को हर क्षेत्र में समान अवसर, गिग वर्कर्स और प्रवासी मजदूरों को मुख्यधारा के लाभ और सभी कर्मचारियों को समय पर वेतन-सुरक्षा की गारंटी मिलेगी।
ग्रेच्युटी क्या है?
ग्रेच्युटी एक सम्मान राशि है, जो लंबे समय तक सेवा देने वाले कर्मचारी को उनके कार्य के बदले कंपनी द्वारा दी जाती है। अब केवल एक साल की नौकरी के बाद भी यह हक सुनिश्चित होगा, जिससे अचानक नौकरी छूटने या रिटायरमेंट के समय लाखों भारतीय परिवारों को आर्थिक सहारा मिलेगा। यह नियम अब निजी और सार्वजनिक क्षेत्र दोनों में लागू होगा।
ग्रेच्युटी की गणना कैसे करें?
ग्रेच्युटी की राशि निकालने का फॉर्मूला सरल है। इसमें आपकी आखिरी बेसिक सैलरी (DA सहित) को 15/26 से गुणा किया जाता है और फिर कंपनी में बिताए गए वर्षों से मल्टीप्लाई किया जाता है। उदाहरण के लिए, यदि आपकी बेसिक + DA 50,000 रुपये है और आपने पांच साल काम किया है, तो ग्रेच्युटी होगी: 50,000 × (15/26) × 5 = 1,44,230 रुपये।